ॐ श्री मार्कंडेय महादेवाय नमः

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामयाः सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्यवेत्।
सब सुखी हों । सभी निरोग हों । सब कल्याण को देखें । किसी को लेसमात्र दुःख न हो ।

Pandit Uday Prakash
Astrologer, Vastu Consultant, Spiritual & Alternative Healers

गुरुवार, 12 नवंबर 2020

Dipawali pujan aur shriyantra । दीपावली पूजन और श्रीयंत्र

Dipawali pujan aur shriyantra । दीपावली पूजन और श्रीयंत्र 


दीपावली पर श्री यंत्र की पूजा व श्री सूक्त का पाठ करना अत्यधिक संवृद्धि कारक माना गया है। यंत्र शास्त्र में श्री यंत्र को सर्वोपरि माना गया है। हमारे सभी महान ऋषि-मुनियों, आध्यात्मिक गुरुओं ने धन-लाभ, सुख-सौभाग्य, सर्वसिद्धि, सर्व कष्ट निवारण, सर्व व्याधिनाश और सर्व भय विनाश के लिए श्रीयंत्र कि महता को एक मत से स्वीकार्य किया है। इस यंत्र की अधिष्ठात्री देवी स्वयं त्रिपुर सुंदरी भगवती लक्ष्मी हैं। यह अत्यंत शक्तिशाली यंत्र और कुछ नहीं बल्कि ललिता देवी का ही पूजा चक्र है। श्री यंत्र को त्रैलोक्य मोहन अर्थात तीनो लोकों का मोहन यंत्र भी कहते हैं।


इस यंत्र की रचना रेखा गणित के अनुसार बड़े अद्भुत है। इसमे तीन रेखाएँ द्वारा 11 केंद्र बिंदु बनाना एक विचित्र योग है। इसके मध्य बिंदु और छोटे बड़े मुख्य 9 त्रिकोण से बने 43 त्रिकोण 2 कमल समूह भूपुर 1 चतुरस 43 कोणो से निर्मित उन्नत श्रंग के सदृश्य मेरु पृष्ठीय श्रीयंत्र अलौकिक ऊर्जा शक्ति और चमत्कारों से परिपूर्ण रहस्य शक्तियों का केंद्र बिंदु कहा गया है। अगर सम्पूर्ण रूप से इस अद्भुत चक्र रचना को लगातार एकटक देखा जाए तो यह चक्र चलायमान प्रतीत होता है जैसे यह हिल-डुल रहा हो। इस चक्र की महिमा अपरंपार है। आज के आधुनिक वैज्ञानिक भी इसपे निरंतर अनुसंधान कर रहे हैं तथा श्रीयंत्र की अद्भुत उर्जा शक्ति पे उनका शोध कार्य चालू है। 


इस यंत्र को सभी प्रकार के धातुओं से बनाया जा सकता है। आज के समय मे यह सोना, चांदी, तांबे, स्फटिक आदि तथा पंचधातु में निर्मित धार्मिक संस्थानों में सुगमता पूर्वक प्राप्त हो जाता है। इसे धनतेरस के दिन घर लाकर दीपावली के दिन श्री सूक्त के मंत्रों द्वारा विधिवत पूजित किया जाए। तब सुख-समृद्धि और धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती तथा प्रगति के मार्ग खुल जाते हैं  घर मे माता लक्ष्मी की अष्ट रूपों में सदा ही कृपा बनी रहती है।


श्री यंत्र को घर मे स्थापित करने के लिए इन नियमों का जरूर ध्यान रखें।

प्राणप्रतिष्ठित श्री यंत्र की ही पूजा करनी चाहिए इसके लिए इसे किसी योग्य और अनुकूल विद्वान ब्राह्मण से सर्वप्रथम प्राण प्रतिष्ठित करवा लें।

श्री यंत्र को पंचामृत- दूध, दही, शहद, घी और शकर को मिलाकर स्नान करने वाले हैं फिर गंगाजल से पवित्र स्नान के बर्तन।

एक छोटी तांबे की प्लेट लें उसमे लाल नया कपड़ा लें उसपर कुमकुम से अष्टदल फिर से उस पवित्र श्री यंत्र को उसी अष्टदल पे स्थापित करें।

स्थापित करने के बाद लाल चंदन, लाल फूल, रोली, अक्षत, अबीर, मेहंदी और लाल दुपट्टा चढ़ाये अगर दुपट्टा उपलब्ध न हो तो मौली चढ़ाएँ। दूध, खोये की मिठाई अथवा खीर का भोग लगाएं।

धूप, दिप और कपूर से आरती करें।

अब इस पूजित श्रीयंत्र के सन्मुख बैठकर श्रद्धापूर्वक पुरुष सूक्त, श्री सूक्त - लक्ष्मी सूक्त या माता लक्ष्मी के किसी भी मंत्र का जप करना चाहिए।

यहाँ मैं कुछ सिद्ध मंत्र दे रहा हूँ।

(1)  ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नम: ।।


(2)  ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः ।।


(3)  ॐ श्री महाल्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ।


नोट- इसमे से किसी भी एक मंत्र अथवा अधिक मंत्रों का श्रद्धापूर्वक जप किया जा सकता है।


।। इति शुभम ।।


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