Vastu and family Relationship घर का वास्तु और हमारे पारिवारिक रिश्ते
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क्योंकि वास्तु शास्त्र के अनुसार हर दिशा घर में किसी न किसी रिश्ते से संबंध रखती है अगर हम अपने घर में उस रिश्ते का उचित सम्मान नहीं करते तो उस रिश्ते से संबंधित दिशा संबंधित तत्व व उनसे मिलने वाले सकारात्मक (Positive) फलों से हम वंचित वंचित रह जाते हैं।
अगर हम उदाहरण स्वरूप समझे तो सर्वप्रथम हम घर में पूर्व दिशा को लेते हैं पूर्व दिशा के स्वामी सूर्य देव हैं यह दिशा सम्मान की है, प्रभाव की है, राजसत्ता की दिशा है यह, इस दिशा का हमारे घर में स्वास्थ्य से गहरा संबंध हैI ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को पिता का कारक कहा गया है अगर घर में पूर्व दिशा में कोई वास्तु दोष है अर्थात उस घर में पुत्र अपने पिता से संबंध अच्छे नहीं रख रहा है नित्य उनका किसी न किसी रूप में अपमान करता है, उनकी अहवेलना करता है अथवा घर की बहू अपने ससुर को सम्मान नहीं दे पा रही है अर्थात घर का मुखिया अपने बच्चों द्वारा निरंतर दुखी होता है तो सच माने कोई भी वास्तु उपाय अपना कोई विशेष प्रभाव नहीं दिखा पाएगा बल्कि उस घर में हर सदस्य का आत्मविश्वास निरंतर गिरा रहेगा बीमारियां लगातार बनी रहेंगी सत्ता और समाज से सहयोग बिल्कुल नहीं मिलेगा परिवार के मानहानि के बार-बार संयोग बनेंगे इसलिए पूर्व दिशा में जब भी कोई वास्तु उपाय किया जाए तो घर में पिता या पिता तुल्य बड़ों का सम्मान करने का भाव भी सर्वप्रथम होना चाहिए ।
इसी तरह अग्नि दिशा में कोई वास्तु दोष होने पर हम कई तरह के वास्तु उपाय करते हैं हम सभी जानते हैं कि यह शक्ति की दिशा है यहाँ से मिलने वाली आहारात्मक उर्जा से हमारा जीवन चलता है अग्नि दिशा पर शुक्र ग्रह का प्रभाव होता है और शुक्र का संबंध सीधे पत्नी से होता है साथ ही यह दिशा सीधे हमारे लाभ को भी प्रभावित करती है अब अगर घर में पति का अपनि पत्नी के साथ संबंधों में मधुरता नहीं होगी अर्थात घर में गृह लक्ष्मी का उचित सम्मान नहीं होगा तो इस दिशा में किया हुआ वास्तु दोष का कोई भी उपाय पूरी तरह अपना प्रभाव नहीं दिखा पाएगा और हमारा आर्थिक लाभ भी सीधे प्रभावित होगा व घर में डायबिटीज जैसी लम्बी बिमारियों का प्रभाव अपना पैर पसारेगा।
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वास्तु के अनुसार घर में पूर्व दिशा से संबंधित रिश्ते
अगर हम उदाहरण स्वरूप समझे तो सर्वप्रथम हम घर में पूर्व दिशा को लेते हैं पूर्व दिशा के स्वामी सूर्य देव हैं यह दिशा सम्मान की है, प्रभाव की है, राजसत्ता की दिशा है यह, इस दिशा का हमारे घर में स्वास्थ्य से गहरा संबंध हैI ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को पिता का कारक कहा गया है अगर घर में पूर्व दिशा में कोई वास्तु दोष है अर्थात उस घर में पुत्र अपने पिता से संबंध अच्छे नहीं रख रहा है नित्य उनका किसी न किसी रूप में अपमान करता है, उनकी अहवेलना करता है अथवा घर की बहू अपने ससुर को सम्मान नहीं दे पा रही है अर्थात घर का मुखिया अपने बच्चों द्वारा निरंतर दुखी होता है तो सच माने कोई भी वास्तु उपाय अपना कोई विशेष प्रभाव नहीं दिखा पाएगा बल्कि उस घर में हर सदस्य का आत्मविश्वास निरंतर गिरा रहेगा बीमारियां लगातार बनी रहेंगी सत्ता और समाज से सहयोग बिल्कुल नहीं मिलेगा परिवार के मानहानि के बार-बार संयोग बनेंगे इसलिए पूर्व दिशा में जब भी कोई वास्तु उपाय किया जाए तो घर में पिता या पिता तुल्य बड़ों का सम्मान करने का भाव भी सर्वप्रथम होना चाहिए ।
वास्तु अनुसार घर में आग्नेय दिशा से संबंधित रिश्ते
वास्तु अनुसार घर में दक्षिण दिशा से संबंधित रिश्ते
इसी तरह हमें सभी संबंधों के बारे में जानना होगा जैसे दक्षिण दिशा हमारे पराक्रम, जोश व कार्य करने की क्षमता प्रदान करने वाली दिशा है यह दिशा हमारे जीवन में कार्य क्षेत्र की ऊँचाइयों को निर्धारित करने वाली दिशा है यह दिशा भूमि पुत्र मंगल से प्रभावित है जो रक्त संबंधित भाई और मित्रों से संबंध रखते हैं इसलिए वास्तु उपायों के साथ-साथ इस दिशा की शुभता इस बात पर निर्भर करती है कि हमारे संबंध इन से अच्छे हो तभी हमें पद प्रभुता अधिकार की प्राप्ति हो सकेगी और हमें कभी क़ानूनी अडचनों का सामना नहीं करना पड़ेगा और सदा हर क्षेत्र में विजयश्री प्राप्त होगी।वास्तु अनुसार घर में नैऋत्य दिशा से संबंधित रिश्ते
वास्तु में नैऋत्य दिशा का अपना विशेष प्रभाव है ग्रह देव राहु यहां के स्वामी राहु हैं वास्तु के अनुसार यह दिशा पृथ्वी तत्व को प्रभावित करती है अर्थात हमारी जड़ जिसे हम हमारे दादा से जोड़कर देख सकते हैं अन्य रिश्तो में ससुर का संबंध भी यहां से है क्योंकि यह दिशा हमारे जीवन में Stability अर्थात स्थायित्व को निर्धारित करती है और जीवन में कौन Stability नहीं चाहता हमारे जीवन यह दिशा सीधे हमारे Progress को प्रभावित करती है इसलिए यहां भी अच्छा प्रभाव तभी मिलेगा जब हम उचित वास्तु उपायो के साथ साथ घर में दादा पिता और उनके जैसे हर बुजुर्ग का सम्मान करेंगे।वास्तु अनुसार घर में पश्चिम दिशा से संबंधित रिश्ते
अगर हम वास्तव में पश्चिम दिशा को देखें तो यह दिशा हमें कार्य करने की क्षमता प्रदान करती है यह दिशा हमें धैर्य और हमारे किए गए कार्य के फल को निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाती है यह दिशा ग्रह देव शनि के प्रभाव क्षेत्र में आती है जो सेवक अर्थात हमारे नौकर चाकर से हमारे रिश्ते कैसे हैं इससे प्रभावित होती है सेवक भी हमारे घर के अस्थाई ही सही अभिन्न अंग होते हैं अतः वास्तु पायो के साथ साथ घर में हम इनसे प्यार से काम लें इन्हें उचित सम्मान दें तो हमारी मेहनत कभी जाया नहीं जाएगी और हमें हमारे किए हुए कार्यों का पूर्ण फल प्राप्त होगा साथ ही शनी को न्यायाधीश भी कहा गया है अर्थात इन रिश्तों के साथ और जीवन में भी हर कार्य व अपने फैसलों में न्यायगत विचार रक्खें तथा झूठ व फरेब से भी उचित दुरी रखनी चाहिए तभी इस दिशा के वास्तु दोष के उपाय अपना पूर्ण फल प्रदान कर पाएंगे।वास्तु अनुसार घर में वायव्य दिशा से संबंधित रिश्ते
ठीक इसी तरह अगर हम वायव्य कोण को देखें तो यह दिशा चंद्रमा अर्थात माता से सीधी जुड़ी है मौसी चाची इन सब का सम्मान होने पर ही यह दिशा और वास्तु उपाय अपने पूर्ण प्रभाव देते है जिसे हमारा मन प्रसन्न चित्त रहता है हमें यश मिलता है मां और उसकी ममता को लेकर कुछ कह पाना कहां संभव है इस रिश्ते की महिमा अपरम्पार है स्वयं इश्वर भी माँ की ममता का बखान नहीं कर सकते हमारे समाज में माता-पिता का भगवान से भी ऊंचा दर्जा प्राप्त है अतः इश दिशा में कोई भी वास्तु दोष हो तो वास्तुशास्त्री को उचित उपाय के साथ-साथ इन रिश्तों को लेकर सम्बंधित परिवार को सम्मान के भाव जगाने चाहिए ।वास्तु अनुसार घर में उत्तर दिशा से संबंधित रिश्ते
अब अगर हम उत्तर दिशा को देखें तो यह दशा बुध ग्रह के प्रभाव की दिशा है यह भगवती लक्ष्मी और कुबेर की दिशा कहीं गई है साथ ही वास्तुशास्र में Prosperty, money and Wealth को आकर्षित करने की दिशा कही गयी है यह हमारे समाज में बेटी बहन बुआ सभी को लक्ष्मी कहा गया है अतः इस दिशा के वास्तु को अच्छा रखने व ऊर्जावान बनाने हेतु वास्तु उपयों के साथ-साथ हमें बेटी, बहन, बुआ इन सभी का खूब आदर-सम्मान करना चाहिए ।वास्तु अनुसार घर में ईशान्य दिशा से संबंधित रिश्ते
और अंत में हम ईशान्य दिशा को ले तो इस दिशा को वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है इस पर देव गुरु बृहस्पति का आधिपत्य है इसके देवता स्वयं भगवान इस हैं इसीलिए हर वास्तुशास्त्री घर में प्रायः यही मंदिर रखने की सलाह देता है इसी दिशा से घर में सकारात्मक और दैवी शक्तियों का प्रवेश होता है तो जाहिर है इस दिशा को वास्तु अनुरूप प्रभावी करने हेतु स्कूल उपायों के साथ साथ हमें अपने प्रथम गुरु अपने माता-पिता अपने टीचर आचार्य धर्मगुरु का हृदय से सम्मान करना चाहिए उनका चरण वंदन करना चाहिए तथा सदा धर्म का पालन करना चाहिए।।। इति शुभम् ।।
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जवाब देंहटाएंशर्माजी आपने बहूत ही सूदंर जानकारी दि...
जवाब देंहटाएंबहोत धन्यवाद🙏
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जवाब देंहटाएंthanks
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