ॐ श्री मार्कंडेय महादेवाय नमः

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामयाः सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्यवेत्।
सब सुखी हों । सभी निरोग हों । सब कल्याण को देखें । किसी को लेसमात्र दुःख न हो ।

Pandit Uday Prakash
Astrologer, Vastu Consultant, Spiritual & Alternative Healers

मंगलवार, 22 अक्टूबर 2019

Numerology & Numeral effect । अंक ज्योतिष एवं अंक फल

Numerology & Numeral effect I अंक ज्योतिष एवं अंक फल 

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अंक ज्योतिष एवं अंक फल

अंको का प्रभाव पुरे विश्व में सर्वमान्य है। हमारे पूर्वजों ने शताब्दियों पहले मान लिया था कि हर अंक की अपनी एक शक्ति होती है, हर अंक अपने आप में एक विशेष तरह का प्रभाव रखता है। हम आज के अंक ज्योतिष में जिस विवेचन या विधा को देख रहे हैं, वह मूलतः संख्या के गणित का ही विशेष प्रकार का फलित है। किंतु संख्या शब्द ज्योतिष के परिप्रेक्ष्य को प्रगट नहीं कर पाता। इस लिए इसे संख्या ज्योतिष के स्थान पर अंक ज्योतिष या अंक विद्या के नाम से हम जानते हैं।

जैसा कि हमने कहा हर अंक की अपनी एक शक्ति होती है, वह अपना एक विशेष प्रभाव रखता है, और हमारे जीवन में एक या अनेक तरह से जुड़ा होता है जैसे- हमारे जन्म दिनांक में अंक है, हमारे नाम में अंक छिपा हुआ है और हमारे काम या व्यवसाय के नाम में अंक छुपा है। जब किसी महीने की किसी तारीख को कोई घटना होती है तो वह एक अंक विशेष में सिमट के रह जाती है। हर एक वर्ष का अपना एक अंक होता है। और हर अंको का फल हम अलग-अलग प्राप्त करते हैं। अंक ज्योतिषी हर एक अलग-अलग अंक द्वारा अलग-अलग भविष्यवाणियां करता है और हम उससे सहमत भी होते हैं तो ऐसे में यह कहा जा सकता है कि अंक ज्योतिष हमारे जीवन में अपना प्रभाव रखता है और हमें अपने जीवन की भूल-भुलैया में मार्ग ढूंढने में हमारी सहायता करता है।

अब आप यह तो समझ ही गए होंगे कि अंक हमारे जीवन में हर कदम पे अपना कितना प्रभाव रखते हैं। सुबह होते ही तारीख के रूप में, ऑफिस जाते समय टाइम के रूप में, बस स्टॉप पे बस नंबर के रूप में, लिफ्ट में फ्लोर नंबर के रूप में इस तरह हम नंबरों के और नंबर हमारे इर्द-गिर्द घूमते रहते हैं। अक्सर हम लोगों से यह कहते हुए सुनते हैं कि यार ये मेरा लक्की नंबर है, मैं जो भी काम इस दिन करता हूँ वह काम जरूर सफल होता है। वही कोई किसी तारीख विशेष को लेकर रोता है, अरे यार इस तारीख को तो मेरा पक्का नुकसान ही होता है। यह सब क्या है?

क्यूँ की हर नंबर अपने आप में एक विशेष प्रकार का अदृश्य गौरव और सिद्धांत समेटे है।
उदाहरण के लिए अगर हम सात ( 7 ) का अंक लें तो अंक ज्योतिष में इसका एक अपना ही प्रभाव माना गया है। जैसे यह अंक आध्यात्मिक एवं रहस्यमय शक्ति संपन्न है। इतना ही नहीं इसे परमात्मा शक्ति का द्योतक समझा गया है। सात का महत्व इससे स्पष्ट हो जाता है कि हमारे यहाँ 7 लोक, 7 पाताल, 7 पवित्र पुरियां , 7 समुद्र, 7 स्वर (संगीत), 7 धातु (शरीरस्थ), 7 वार (दिन), 7 सप्तऋषि, 7 रंग, 7 घोड़े (सूर्य के रथ में), 7 सप्त व्याहृति, 7 सप्त जिह्वा (अग्नि:), 7 फेरे (विवाह में), रामचरितमानस में 7 सोपान आदि विशेष महत्वपूर्ण हैं। पवित्र स्वस्तिक का चिन्ह भी 7 के ही अंको का मेल है। आज भी इसे बोलचाल की भाषा में सातियाँ कहते हैं। क्रिश्चियन धर्म में भी उनके पवित्र बायबल में 7 के अंक को शुभ माना है। जैसे 7 स्वर्ग, 7 सिंहासन, 7 गिरजाघर, डेविड से लगाकर ईसा के जन्म तक 7 पीढियां, परमात्मा की 7 आत्मशक्तियाँ, परमात्मा के 7 दूतों का संसार में भ्रमण इत्यादि। वहीँ मुसलमानों के पवित्रग्रंथ कुरान की प्रथम सूरत फातिहा में 7 आयते हैं। इन सभी धर्मों में 7 के अंक का एक अपना प्रभाव है।
अंक शास्त्र के आधार अंक, केवल 1,2,3,4,5,6,7,8 और 9 हैं। शून्य '0' को अंक शास्त्र ने कोई महत्व नहीं दिया है। यह केवल निराकार ब्रह्म या अनंत का प्रतीक है। शून्य से सृष्टि की उत्पत्ति हुई है एवं शून्य में ही सब कुछ विलीन हो जाता है । यह शून्य सूक्ष्म से सूक्ष्मतर एवं वृहद से वृहदाकार है। हम जब भी अपनी दृष्टि चारों ओर घुमाएंगे तो हमें सब कुछ गोल ही गोल दिखाई देता है। यह गोल ही विश्व है। आकाश, पृथ्वी, वायु,जल, अग्नि सभी कुछ गोलाकार हैं। हमारे शरीर में स्थित विभिन्न द्वार भी गोल ही हैं। इसीलिए शून्य की शक्ति सबसे बड़ी है और इस शून्य को हमारे ऋषि-मुनियों ने खोजा जिसे आज पूरा विश्व मानता है। हम आज कंप्यूटर के युग में पहुंच गए हैं और इस कंप्यूटर का आधार भी हमारा शून्य ही है। जिसे कंप्यूटर की भाषा में डॉट ( . ) कहा जाता है। शून्य से सृष्टि की उत्पत्ति हुई है और सृष्टि एक कहलाई अर्थात इस सृष्टि को संचालित करने वाली कोई एक शक्ति है। जो अदृश्य है एवं विधि पूर्वक सृष्टि का संचालन कर रही है। उसे हमने ब्रह्मा की संज्ञा प्रदान की । अतः ब्रम्ह एक है एवं उसे पुकारने के नाम अनेक है।

तो आइये जाने हमारे जीवन में हम किस तरह अंको की प्रधानता को समझे? सर्व प्रथम तो हमें हमारी जन्म तारीख, जन्म माह, जन्म वर्ष से अपना 'मूलांक', 'भाग्यांक' एवं 'नामांक' जानना अनिवार्य होता है जिससे की हम अपने लिए शुभा-शुभ अंको को जान पाएं। गणित शास्त्र का नियम अंकशास्त्र से भिन्न है। अंकशास्त्र में हजारों लाखों और अनंत संख्या का मूल्य इन्हीं नौ तक के अंको में समाविष्ट है। गणित जिसे 11, 20, 29, 38, 47 आदि मानेगा उसे अंकशास्त्र दो मानेगा। इन्हें बाएं से दाहिने ओर जोड़िए सब का योग दो ही होगा। इस प्रकार अंकशास्त्र में चाहे जितनी बड़ी संख्या हो उसे 1 से 9 तक की पुनरावृत्ति माना जाएगा । ग्यारह अंक 2 को, 12 अंक 3 को, 13 अंक 4 को, 14 अंक पांच, को दोहराता है । इस प्रकार अनंत तक क्रम चला जाता है । अंक शास्त्र की भाषा में एक से नौ तक के अंको को आधार अंक और नव से आगे की संख्या वाले अंकों को संयुक्त अंक के नाम से संबोधित किया जाता है। इसी तरह हर अक्षर का अपना एक अंक विशेष माना गया है।

ऊपर हमने जाना कि हर अंक अपनी एक विशेष शक्ति रखता है, और हमारे जीवन में हर अंक का अपना एक महत्व है। हर कदम पे अंक हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। जिस दिन हमारा जन्म होता है उस दिन की तारीख, हमारे स्कूल जाने का पहला दिन, हमारे पहले जॉब की पहली सैलरी का अमाउंट, हमारे विवाह का दिन क्या हम इन संख्या या इन दिनों या इन तारीखों के महत्व को नजरअंदाज कर सकते हैं? होस सँभालने के बाद से पुरे जीवन क्रम में हमारा और नंबरों का साथ नहीं छूटता। तो मेरे प्रिय पाठकों आइये अपने अंक ज्योतिष मित्र पंडित उदयप्रकाश शर्मा से जाने कि हर एक नंबर विशेष अर्थात हमरे मूलांक, भाग्यांक अथवा नामंक का क्या फल होता है यह नंबर हमें क्या फला-फल प्रदान करते हैं। तो चलिए सबसे पहले अंक एक 1 का फल जाने

मूलांक 1 का फल

इस अंक के स्वामी ग्रह सूर्य हैं । यह अंक स्वतंत्र व्यक्तित्व का धनी है अर्थात इस अंक वाले व्यक्ति किसी के अनुशासन में रहना पसंद नहीं करते। इससे संभावित अंह का बोध, आत्म निर्भरता, प्रतिज्ञा, दृढ़ इच्छा शक्ति एवं विशिष्ट व्यक्तित्व दृष्टि गोचर होता है। काम-वासना अधिक होती है। किंतु अगर चाहें तो भरपूर संयम भी कर सकते हैं। स्व- पुरुसार्थ से कठिन से कठिन कार्य भी कर सकते हैं। धन भी खूब कमा सकते हैं। इन्हें अक्सर नौकर बेईमान ही मिलते हैं। इनके संतान बहोत होती हैं। इनके गुप्त शत्रु बहोत होते हैं। इन्हें खुद पे घमंड भी बहोत होता है अगर इनकी बात कोई नहीं माने तो तुरंत नाराज भी हो जाते हैं। कभी अपने मित्रों से विश्वासघात नहीं करते। शरीर से मजबूत और खूबसूरत होते हैं। इनका जन्म समय 21 जुलाई से 28 अगस्त के मध्य होने, का प्रभाव सूर्य के नियंत्रण में होता है, इनके लिए शुभ तिथि 1,10,19 एवं 28 तारीख है। इन लोगो के जीवन के मह्त्वपूर्ण वर्ष 1,10,19,28,37,46,55,64 तथा 73 होते हैं। 2,47 अंक वालों से इनका जबरदस्त आकर्षण होता है. इनके लिए शुभ दिन रविवार एवं सोमवार है, तो शुभ रंग पीला, हरा एवं भूरा है। ये अपने ऑफिस, शयनकक्ष परदे, बेडशीट एवं दीवारों के रंग इन्हीं रंगों में करें, तो भाग्य पूर्णत: साथ देता है. इस मूलांक के व्यक्ति शासन के शीर्ष पद पर देखे जाते हैं. छह एवं आठ अंक वाले इनके शत्रु हैं. इनकी शुभ दिशा ईशान कोण है। 

मूलांक 2 का फल

इस का स्वामी चन्द्रमा है।अंक दो का संबंध मन से है। यह मानसिक आकर्षण, हृदय की भावना, सहानुभूति, संदेह, घृणा एवं दुविधा दर्शाता है। यह कल्पनाशील, कला प्रेमी, शांति प्रिय, तथा ठंढे स्वभाव के होते हैं। ये शारीरिक दृष्टि से भले ही दुर्बल हों परंतु इनकी मस्तिष्क-शक्ति प्रबल होती है। अतः इनके विचारों में परिवर्तन होता रहता है। स्वभाव से डरपोक भी होते हैं और दूसरों के विचारों पे अपना मार्ग निश्चित करते हैं। ये जिद्दी भी बहोत होते हैं। धैर्य कम होता है। अपनी बात को छिपा कर रखना बखूबी जानते हैं। इन्हें क्रोध बहोत जल्द आता है पर यह टिकाऊ नहीं होता। ज्यादा भावुकता इनके लिए हानिकारक सिद्ध होती है। इनके लिए 2,11, 20, 29 तारीख अति शुभ हैं। इनलोगों के जीवन के अधिक महत्वपूर्ण वर्ष 2,10,11,13,16,20,22,25,31,34,37,43,46,52,55,61,64,70 और 73 होते हैं। रविवार, सोमवार एवं शुक्रवार श्रेष्ठ दिन हैं. सफेद एवं हल्का हरा रंग इनके लिए शुभ रंग हैं।

मूलांक 3 का फल

इस अंक के स्वामी देव गुरु वृहस्पति हैं। इससे बढ़ोत्तरी, बुद्धि विकास क्षमता, धन वृद्धि एवं सफलता मिलती है। यह महत्वकांक्षी, कठोर अनुसासन का पालन करने तथा कराने वाले नेतृत्वप्रिय होते हैं। अगर यह लोग सेना, पुलिस, अथवा ऐसे ही किसी विभाग में काम करें , जहाँ कि इन्हें नेतृत्व करना हो, तो ये अपने सहयोगियों अथवा अधीनस्थ कर्मचारियों में शिथिलता की भावना नहीं आने देते। इनके तेज तथा कार्यप्रणाली के समक्ष इनके शत्रु अथवा विरोधी नहीं ठहर पाते। ये लोग आशावादी और आनंदी होते हैं। सीधी-साधी वेश-भूषा से इन्हें प्रेम होता है। स्वतंत्र और स्वार्थ त्याग इनका मुख्य गुण होता है। ये लोग अच्छे वक्ता और लेखक होते हैं। इनका बचपन कष्टमय गुजरता है। पानी से इन्हें भय होता है। विदेश यात्रा का शौक हुआ तो विदेश में ही मृत्यु होने की सम्भावना होती है। ये किसी के अधीन नहीं रह पाते। इन्हें कभी थोड़े और छोटे से संतुष्टि नहीं मिलती हमेसा ज्यादा और बड़ा पाने के लिए कार्य करते हैं। ये दूसरों पे नियंत्रण और अधिकार चाहते हैं। पर इनमे एक अवगुण भी है यह अपने विचारों को अक्सर दूसरों पे थोपने का प्रयास भी करते हैं। कुछ-कुछ घमंडी भी होते हैं। जिन्हें स्वतंत्रता इतनी अधिक पसंद है कि जरा से बंधन से ही नाराज हो जाते हैं। इन लोगो के जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष 3,12,21,30,39,48,57 तथा 66 होते हैं। इनके लिए 3, 12, 21 एवं 30 तारीख विशेष शुभ हैं। मंगलवार, गुरुवार एवं शुक्रवार श्रेष्ठ है। पीला एवं गुलाबी रंग अतिशुभ है। शुभ माह जनवरी एवं जुलाई है. दक्षिण, पश्चिम एवं अग्नि कोण श्रेष्ठ दिशा है।

मूलांक 4 का फल

इस अंक का स्वामी राहु है। इस अंक वाले व्यक्ति एक भिन्न दृष्टिकोण वाले व्यक्ति होते हैं। साधारण लोगों से उनका दृष्टिकोण भिन्न होता है। यद्यपि ये झगड़ना पसंद नहीं करते तथापि ये हमेसा विरुद्ध पक्ष का समर्थन करते हैं। इस स्वभाव के कारण इनके विरोधी बहोत हो जाते हैं। ये अपने सिद्धांत के इतने मजबूत होते हैं कि इन्हें अगर मौका मिल जाये तो यह क्रन्तिकारी विगुल अकेले ही फूंक दें, अक्सर यह वैधनिक सत्ता के विरूद्ध होते हैं। ये देखने में मजबूत पर हकीकत में दिल के कमजोर होते हसीन। 4, 13, 22 एवं 31 तारीख इनके लिए शुभ होती है है।रविवार, सोमवार एवं शनिवार श्रेष्ठ दिन हैं, जिसमें शनिवार सर्वश्रेष्ठ है. नीला एवं भूरा रंग शुभ है।

मूलांक 5 का फल

इस अंक का स्वामी बुध है। 5 नंबर मूलांक वाले व्यक्ति की किसी भी नंबर वाले व्यक्ति से बन जाती है। पर यह दुर्बल और चिड़चिड़े स्वभाव के होते हैं। स्वभाव में अत्यंत चंचलता व अस्थिरता होती है। विचारों और निर्णय लेने में जल्दबाज होते हैं। मेहनत से दूर भागते हैं। पैसा कमाने के लिए कोई भी कार्य अतिसिघ्र कर डालते हैं पहले विचार नहीं करते। नए विचारों के धनी होते हैं। जुए, सट्टे, लाटरी की तरफ भी अक्सर आकर्षित होते हैं। नौकरी की अपेक्षा व्यापार करना उचित मानते हैं। इनके लिए शुभ तिथि 5, 14 एवं 23 है। बुधवार एवं शुक्रवार श्रेष्ठ है. उसमें शुक्रवार सर्वाधिक शुभ है।सफेद, खाकी एवं हल्का हरा रंग इनके लिए शुभ है। वैसे जब ये हर इंसान से बना लेते हैं तो इन्हें सभी कलर भी पसंद आ जाते हैं। इनके लिए अशुभ अंक 2, 6 और 9 हैं।

मूलांक 6 का फल

शुक्र इस अंक का स्वामी ग्रह है। यह सजीले व्यक्ति होते हैं, रूप आकर्षक होता है। इनके स्वभाव के कारण इन्हें सभी पसंद करते हैं। इनसे छोटे और इनके मातहत इन्हें सम्मान देते हैं। यह दृढ निश्चयी होते हैं। इनमे हठ और अडिगता का मिलाजुला भाव पाया जाता हैं। यह प्रेम के लिए हार जाते हैं। जिससे ये अपने साथी से भरपूर प्रेम भी पाते हैं। यह अंक वैवाहिक जीवन, प्रेम एवं प्रेम-विवाह, आपसी संबंध, सहयोग, सहानुभूति, संगीत, कला, अभिनय एवं नृत्य का परिचायक है। इनके पास अगर धन हो तो ये कलाकारों की खूब मदत करते हैं और उन्हें प्रोत्साहित करते हैं। इन्हें क्रोध आता है तो ये अंधे हो जाते हैं उस समय इन्हें कुछ समझ नहीं आता। जिसका साथ यह मान लें मरतेदम तक उसका साथ देते हैं। इस अंक के व्यक्ति बहोत खर्चीले होते हैं अपनी हैसियत से भी ज्यादा खर्च करने की आदत रखते हैं। सजना-सवँरना, इत्र, परफ्यूम,सुन्दर परिधान इनकी कमजोरी होते हैं। इनकी शुभ तिथि माह की 6,15 एवं 24 तारीख है। मंगलवार, गुरुवार एवं शुक्रवार श्रेष्ठ दिन है जिसमें शुक्रवार सर्वश्रेष्ठ है. आसमानी, हल्का एवं गहरा नीला एवं गुलाबी रंग शुभ हैं। लाल, गहरा जामुनी एवं काले रंग का प्रयोग वर्जित है।

मूलांक 7 का फल

इस अंक का स्वामी केतु है। इस मूलांक वाले व्यक्ति स्वतंत्र, मौलिक और अद्भुत बिचारों वाले होते हैं। यह थोड़े गूढ़ (रहस्यमय) स्वभाव के भी होते हैं। लकीर के फ़क़ीर रहना यह पसंद नहीं करते। परिवर्तन से अधिक प्रेम होता है। इनका अपना कुछ ऐसा स्वभाव होता है कि यह खुद से अक्सर असंतुष्ट से रहते है। यह विदेश जाने की युक्ति में लगे रहते हैं। और यात्रा सम्बंधित साहित्य इन्हें रुचिकर लगता है कुल मिलाकर कह सकते हैं कि यह घूमना-फिरना पसंद करते हैं। यह अपने मौलिक विचारों द्वारा व्यापर से खूब लाभ कमाते हैं। धार्मिक विचार के होते हैं और ऐसे लोगों को खूब पसंद भी करते हैं। समुद्र सम्बंधित कार्यों से भी लाभ अर्जित कर सकते हैं इसमें इनकी रूचि होती है। इनके धर्मिक विचार बहोत पवित्र होते हैं। यह लज्जालु और चंचल स्वभाव के होते हैं। एकांतवास इन्हें पसंद होता है। इनके रहस्य को जान पाना संभव नहीं होता।महीने की 7, 16 एवं 25 तारीख सर्वश्रेष्ठ है। 21 जून से 25 जुलाई तक का समय भी श्रेष्ठ है. रविवार, सोमवार एवं बुधवार श्रेष्ठ हैं जिसमें सोमवार सर्वश्रेष्ठ है। शुभ रंग हरा, सफेद एवं हल्का पीला है। काले रंग से इन्हें बचना चाहिए।

मूलांक 8 का फल

इस अंक का स्वामी शनि हैं। 8, 17 एवं 26 तारीख श्रेष्ठ तिथि हैं। इस अंक वाले व्यक्ति किसी भी बात की मुख्यता को न समझकर चाहे जो समझ लेने वाले होते हैं, फिर अपने आप को अकेला समझते हैं। स्वभाव गंभीर और तेज होता है। अपने व्यक्तित्व की बड़ी शक्ति रखते हैं। ये बहोत महत्व के कार्य करते हैं पर अंततः विनाशक होते हैं। अगर थोडी सी भी धार्मिकता मन में आ गई तो फिर बहोत धार्मिक होते हैं। बड़े हठी भी होते हैं।

दिन-दुखी, दलित, पीड़ित, दुर्दशाग्रस्त, और अनाथों के प्रति बहोत ज्यादा प्रेम और सहानुभूति रखते हैं। यह अपने विचारों को गुप्त रखने में भी प्रवीण होते हैं इन्हें फर्क नहीं पड़ता कि इनके बारे में लोग क्या सोचते हैं। इस अंक वाले व्यक्ति या तो बहोत ही सफल होते हैं या तो फिर एकदम असफल। इस अंक को बहोत महान नहीं माना जाता क्यों कि इसके जातक बहोत ही दुःख, दर्द, संघर्ष के पश्च्यात ही नाम-दाम कमा पाते हैं। जिनकी बहन-भाइयों से बहोत कम ही बन पाती है। ये अपने अपमान की बात कभी भी भूल नहीं पाते। यात्रा में अक्सर हानि उठाते हैं। पत्नी से भी इनकी बहोत नहीं बनती। दूसरों की सफलता इनके लिए असह्य होती है। इनके लिए केवल शनिवार का दिन ही शुभ होता है। गहरा नीला, बैगनी, सफेद एवं काला शुभ रंग है. हृदय एवं वायु रोग इनके प्रभाव क्षेत्र हैं। दक्षिण, दक्षिण/पश्चिम एवं दक्षिण-पूर्व दिशा शुभ हैं।

मूलांक 9 का फल

अंक नौ का स्वामी मंगल है जो युद्ध का देवता है। इस मूलांक के लोगों पर मंगल ग्रह का प्रभाव सर्वाधिक है। इनका बाल्य जीवन संकटमय रहता है। बृद्धावस्था दृढ़ता और प्रबल इच्छा शक्ति के कारण अच्छी हो सकती है। इनके स्वभाव में शिघ्रता (जल्दीबाजी) पाई जाती है। ईकाई अंक होने से संघर्ष, युद्ध, क्रोध, ऊर्जा, साहस एवं तीव्रता देता है। इनमे स्वतंत्र होने तथा अपने मन पर अधिकार ज़माने की भावनाएं होती हैं। शत्रु अधिक होते हैं। प्रयः इनका जीवन युद्धमय ( जरुरी नहीं की तलवार, गोला, बारूद से ही लड़ें ) यह आत्मा और मन का भी युद्ध हो सकता, जीवन संघर्ष का भी युद्ध हो सकता है। वैसे यह बड़े साहसी, योद्धा, जुझारू, नेता और वीर होते है। कभी-कभी अपनी रुखाई और कुव्यवहार की वजह से भयानक संकट में भी फंस जाते हैं। इनके शरीर पर प्रायः चीड़-फाड़ तथा घावों के निशान होते हैं। घरेलू जीवन भी प्रयः झगड़े-झंझटों में ही बीतता है। अपनी आलोचना बिल्कुल पसंद नहीं करते। हतास भी जल्दी होते हैं। इन्हें अगर परिवार से दूर होना पड़े तो यह बहोत जल्दी टूट जाते हैं। इनके पास दुनियां का हर तर्क मौजूद होता है। यह उच्च कोटि के तर्क शास्त्री भी हो सकते हैं। यह अगर अपने क्रोध पे संयम कर लें तो इनका भाग्य उच्च कोटि का होता है। इनके लिए माह की 9, 18 एवं 27 तारीखे श्रेष्ठ होती है। मंगलवार, गुरुवार एवं शुक्रवार शुभ दिन है। गहरा लाल एवं गुलाबी शुभ रंग है. पूर्व, उत्तर-पूर्व एवं उत्तर-पश्चिम दिशा अतिशुभ हैं। हनुमान जी की अराधना श्रेष्ठ है।

शून्य 0 का फल

शून्य का भी अपना महत्त्व है। शून्य को अनंत की शक्ति प्राप्त है। यह सूक्ष्म से सूक्ष्म है एवं वृहद से बृहदाकार है। इसमें अनंत असीम अस्तित्व छिपा है जो सभी वस्तुओं का उद्गम स्त्रोत है। इस अनंत ब्रम्हांड में समस्त आकाश मंडल के सितारे, प्रकाश पुंज, संपूर्ण सौरमंडल,आकाशगंगा, सर्व भौमिकता, विश्व प्रजनन शक्ति, ग्रहों की परिक्रमा, परिक्रमा पथ आदि है। इसी में संपूर्ण विश्व की शक्ति निहित है। आप कहीं से भी चलना प्रारंभ करें पूरे विश्व या पृथ्वी का चक्कर लगा ले फिर लौटकर फिर वही आ जाएंगे जहां से चले थे। अतः शून्य में ही सब कुछ छिपा होने से इसे अनंत की शक्ति प्राप्त है। शून्य अंक ब्रह्मांड का प्रतीक है।यह स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त नहीं होता यह जिस अंक के साथ आता है उसकी शक्ति बढ़ा देता है। जिस व्यक्ति के जीवन में इसका उपयोग होता है वह व्यक्ति दृढ़ निश्चई और विवेकवान माना जाता है ऐसा व्यक्ति न तो स्वयं गलत मार्ग पर चलता है और ना दूसरों को इसके लिए प्रेरित करता है। जिस व्यक्ति का जन्म इसी महीने की 10, 20 या 30 दिनांक को होता है उस के जीवन से इस शून्य का संपर्क हो जाता है और उसमें ऊपर बताएं गुण आ जाते हैं।

।। इति शुभम् ।।

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