ॐ श्री मार्कंडेय महादेवाय नमः

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामयाः सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्यवेत्।
सब सुखी हों । सभी निरोग हों । सब कल्याण को देखें । किसी को लेसमात्र दुःख न हो ।

Pandit Uday Prakash
Astrologer, Vastu Consultant, Spiritual & Alternative Healers

सोमवार, 4 नवंबर 2019

dimension I आयाम किसे कहते हैं

dimension आयाम किसे कहते हैं?

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आयाम किसे कहते हैं


हम सभी इस संसार को तीन आयामों में देखते और समझते हैं जैसे- लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई इसे हम आज के समय में 2D एवं 3D फ़िल्म के द्वारा समझ सकते हैं। साथ ही हमारे महान वैज्ञानिकों ने समय को भी एक आयाम मान लिया है जिसे लेकर चार आयाम हुए। इस संसार मे जो भी घटित हो रहा है उसे हम इन्ही आयामों में रहकर देख पा रहे होते हैं इसके ऊपर के आयामों की हम सिर्फ कल्पना ही कर सकते हैं।

What is a Dimension

आयाम को इंग्लिश में Dimension कहा जाता है यह एक गणितीय और भौतिकीय विज्ञान है। जैसे हम समय को घंटे में, लंबाई को मीटर में, दूरी को किलोमीटर में, तापमान को केल्विन में मापते हैं वैसे ही संसार में हो रही घटनाओं को हमारे महान वैज्ञानिक आयाम में मापते हैं। स्ट्रिंग थ्योरी के अनुसार 10 आयामों तक की कल्पना की गई है वहीं एम. थ्योरी के अनुसार 11 व बोजोनिक थ्योरी के अनुसार इस समस्त ब्रह्मांड में 26 आयाम तक कि कल्पना की गई है। तो आइए इन आयामों के बारे में हम सरल भाषा मे समझने का प्रयास करते हैं।

Zero Dimension

सबसे पहले हम जानते हैं शून्य आयाम के बारे में जैसे हम उदाहरण स्वरूप समझें तो हमें कल्पना करनी होगी एक Dot (बिंदु) की जिसका कोई जीवन नहीं है कोई शरीर नहीं है कोई आकार नहीं है बल्कि वह शून्य है न वह ऊपर जा सकता है न नीचे, न दाएं जा सकता है न बाएं और न यह अपनी जगह पर घूम सकता है पर यह आयाम बहोत ही महत्वपूर्ण है क्यों कि आनेवाले सभी आयामों का आधार ही यह शून्य है। क्यों कि इस संसार में जो भी मौजूद है चाहे वह छोटे से छोटा हो या बड़े से बड़ा वह शून्य जैसी स्थिति कण-कण से मिलकर ही बना है।

First Dimension 

हमें पहले आयाम. को समझने के लिए एक शून्य को दूसरे शून्य से जोड़ दीजिये अर्थात एक डॉट को दूसरे डॉट से जोड़ दिजीये अब यह लंबा हो जाएगा मतलब एक छोटी सीधी लाइन बन जाएगी इसे ही पहला आयाम कह सकते हैं इस सृष्टि में पहले आयाम का जीव है तो वह सिर्फ आगे और पीछे ही जा पायेगा ।

Second Dimension

हमें दूसरा आयाम. इस आयाम में प्रथम आयाम की लाइन आगे पीछे जाने के साथ-साथ दाएं-बाएं भी जा पाएगी उदाहरण स्वरूप जैसे पुराने समय मे मोबाइल के फीचर में एक साँप वाला गेम होता था जो एक एक डॉट जुड़ता जाता था और हम उसे दाएं-बाएं घुमाते हुए डॉट जोड़ते जाते थे।

Third Dimension

हमें तीसरा आयाम. इस आयाम में हम आगे-पीछे व दाएं-बाएं जाने के साथ-साथ ऊपर-नीचे भी जा सकते हैं अर्थात ऊंचाई और गहराई में भी जा सकते हैं अगर हम सिनेमा या टेलीविजन देखते हैं जो सामान्यतः 2D होती है तो उसमें हम किसी भी चित्र को लंबा या चपटा ही देखते हैं पर उसी जगह पे जब हम 3D पिक्चर देखते हैं तो लंबाई और चपटेपन के साथ-साथ मोटा और गहरापन भी देख पाते हैं।

Fourth Dimension

अब आता है चौथा आयाम जिसको हमारे महान वैज्ञानिकों ने समय कहा है जिसमे हम हर पल एक सीधी लाइन पे आगे बढ़ते जा रहे हैं अर्थात अपने पास्ट से फ्यूचर की तरफ गती कर रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार आज हम सिर्फ इन्हीं तीन आयामों में ही अपना जीवन जी रहे हैं हम मनुष्य का भौतिक शरीर इन्हीं डायमेंसन में रह पाने लायक बना है उदाहरण स्वरूप समझे तो जिन्हें हम भगवान कहते हैं जो मनुष्य से परे हैं जो पूरे ब्रह्मांड में अनगिनत स्टार सिस्टम, ग्लैक्सी, सुपर क्लस्टर और अरबो प्रकाश वर्ष में फैले अनंत में बे रोक-टोक बिना किसी बाधा के विचरण कर सकते हैं जो आगे के सभी आयामों से बने हैं वो समय मे आगे पीछे आने-जाने में भी सक्षम है। 

 Time Travel

अक्सर जो हम समय यात्रा की बात सुनते हैं वह इन्ही आगे के डायमेंसन से संभव है। हमारे धर्मग्रन्थों में वर्णन आता है देवताओं के देवलोक जाने-आने के छणिक समय में पृथ्वीलोक पे वर्षों का समय व्यतीत हो चुका होता है। हमारे देवता वह सब देख, सुन, और कर सकते हैं जो हम मनुष्य कभी नहीं कर सकते हमारी सारी सीमाएं निर्धारित हैं पर ईश्वर की कोई सीमा निर्धारित नहीं है।


Spirituality and Dimensions

वहीं सद्गुरु के अनुसार अगर हम आध्यात्मिक रूप से देखें तो हमारे मन को भी तीन आयामों में बांट सकते हैं। मन का विवेक-विचार करने वाला प्रथम आयाम बुद्धि कहलाता है, दूसरा आयाम है संग्रह करने वाला हिस्सा जो सूचनाएँ एकत्रित करता है, और तीसरा आयाम है जागरूकता जो प्रज्ञा कहलाती है जीवित रहने के लिये तार्किक-बुद्धि एक बहुत अच्छा यंत्र है। यदि आप जानते हैं कि अपने तर्क का इस्तेमाल कहाँ तक किया जाना चाहिये और कहाँ नहीं किया जाना चाहिये, आप तुलनात्मक हैं तभी आपका जीवन सुंदर और आनंद से भरा होगा।

मेरे प्रिय पाठकगण यह विषय भौतिकी का है और मैंने कोई भौतिकी नहीं पढ़ी अपने पूज्यनीय गुरुजनों से जो कुछ भी आयामों के संबंध में सीखा है महसूस किया है वही अपनी अल्प लेखन बुद्धि के साथ आप लोगों से बांट रहा हूँ इसे अपने ज्ञानवर्धन हेतु लें अगर इसमे कोई त्रुटि है तो उसके लिए छमाप्रार्थी हूँ अगर आप लोगों का इस विषय पे कोई सुझाव है तो मै उसका स्वागत करता हूँ ।

।। इति शुभम् ।।

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