ॐ श्री मार्कंडेय महादेवाय नमः

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामयाः सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्यवेत्।
सब सुखी हों । सभी निरोग हों । सब कल्याण को देखें । किसी को लेसमात्र दुःख न हो ।

Pandit Uday Prakash
Astrologer, Vastu Consultant, Spiritual & Alternative Healers

रविवार, 17 नवंबर 2019

vastu ke anusar study room I वास्तु के अनुसार पढ़ाई का कमरा

vastu ke anusar study room । वास्तु के अनुसार पढ़ाई का कमरा

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वास्तु के अनुसार पढ़ाई का कमरा

हमारे घर में प्रायः बच्चों अथवा किशोरवय युवाओं के लिए घर में एक कक्ष होता है जहाँ वह आराम के साथ-साथ अपनी पढ़ाई-लिखाई करते हैं। पर आज के युग में सबके पास बच्चों के लिए अलग कक्ष हो यह जरूरी नहीं, अगर हम धनाढ्य वर्ग को छोड़ दें तो बड़ी मुश्किल से एक सामान्य व्यक्ति अपनी गृहस्ती बसाता है आज के फ़्लैट सिस्टम में तो और भी स्थिति खराब है, ऐसे में घर के बच्चों को अलग कक्ष मिले जरुरी नहीं, जिससे घर में बच्चे किसी भी स्थान पे बैठकर पढाई करने को बाध्य होते हैं।

अब अगर वह जगह वास्तु दोष से दूषित है तो उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता, पढाई में वे एकाग्रचित नहीं हो पाते, वे अपने स्कूल के काम Homewark आदि को समय पे पूरा नहीं कर पाते और अपने टीचर से डाँट खाते हैं जिससे उनमे चिड़चिड़ापन, खीज और गुस्सा पैदा होता है। जो पढ़ते भी हैं वह याद नहीं रहता। बच्चे परिवार और देश का भविष्य होते हैं हमें उनके उज्जवल भविष्य के लिए उनके स्वास्थ्य व उनकी शिक्षा के लिए सर्वोच्च रूप से प्राथमिकता देना जरुरी है, इसलिए अध्यन कक्ष में वास्तुदोष का निरिक्षण करवाकर उसका उचित उपचार करवाना चाहिए, क्यों कि दोष सिर्फ बच्चों को ही नहीं प्रभावित करता बल्कि माता-पिता को भी प्रभावित और परेसान करता है । तो आइये पाठकों जानते हैं कि हम किस प्रकार अपने भावी एवं होनहार पीढ़ी को वास्तु अनुरूप घर में कक्ष अथवा उनके पढ़ने-लिखने का स्थान एवं माहौल दे सकते है ?


ज्योतिष में शिक्षा के योग

घर में अध्ययन कक्ष ईशान कोण अथवा पूर्व या उत्तर दिशा में बनवाना चाहिए 

यह सर्वविदित है पर हमने अपने वास्तुविद् पं. उदयप्रकाश शर्मा स्वयं के अनुभव में यह देखा है कि पश्चिम दिशा का कक्ष हो और उसमे पढ़ते समय बच्चे का मुख पूर्व अथवा उत्तर की तरफ हो तो पढाई- लिखाई का बहोत अच्छा फल मिलता है (क्यों कि यह शनि का स्थान होने से बच्चे में किसी भी सब्जेक्ट में गहराई तक जाकर बिषय को समझने की शक्ति मिलती है ) वे अपनी पढाई-लखाई को लेकर गंभीर होते हैं, देर तक पढ़ पाते हैं।

वहीँ उत्तर- पूर्व ( ईशान दिशा ) में सूर्य की ऊर्जा हमारे शरीर की ऊर्जा से कम होती है यहाँ पूजा-ध्यान तो सर्वोत्तम है, तथा वयस्क व्यक्ति के पढ़ने- लिखने के लिए भी अच्छी है ।

(1)
पर बालक की बुद्धि के लिए शांत-पवित्र स्थान के साथ-साथ भरपूर ऊर्जा भी चाहिए जिससे उनके मानसिक विकाश के साथ-साथ सारीरिक विकाश भी हो सके, हमने अपने लम्बे अनुभव में यह देखा है कि घर में N/E ( ईशान दिशा ) के कक्ष में रहने और पढ़ने वाले बच्चों का ज्ञान बहोत अच्छा होता है पर समय पे उस ज्ञान का वह उपयोग नहीं कर पाते, दूसरी बात कि अध्ययन कक्ष शौचालय के निकट किसी भी कीमत पर न बनवाएं। पढ़ने की टेबल पूर्व या उत्तर दिशा में रखें तथा पढ़ते समय मुंह उत्तर या पूर्व की दिशा में होना चाहिए। इन दिशाओं की ओर मुंह करने से सकारात्मक उर्जा मिलती है जिससे स्मरण शकित बढ़ती है एंव बुद्धि का विकास होता है।

जिस कमरे में बच्चा पढ़ता है उसे आग्नेय कोण यानी पूर्व और दक्षिण व वायु कोण अर्थात् उत्तर व पश्चिम दिशा में बिलकुल भी नहीं होना चाहिए

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वास्तु के अनुसार पढ़ाई का कमरा

(2)
आग्नेय कोण में होने से बच्चा चिड़चिड़ा होता है और वायु कोण में पढ़ने से उसका मन भटकता है। अतः कोशिश करें कि बच्चा कम से कम परीक्षा के दिनों में पूर्व दिशा में ही बैठकर पढ़े। अगर वास्तु के अनुरूप घर में स्थान न हो या अलग कक्ष न हो तो घर की उत्तरी दिशा में स्वच्छता का विशेष ध्यान रख्खें, यह दिशा खुली रख पाएं तो उत्तम होगा, यदि यह भी संभव न हो तो उत्तर दिशा में गमले में तुलसी का पौधा लगाएं अथवा जेड पिरामिड
( jed payramid ) 9 की संख्या में उत्तरी दिवार पे लगाएं घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ेगा और घर के बच्चों के लिए यह बहोत अच्छा होगा।

(3) 
पढ़ाई की टेबल जिसे हम स्टडी टेबल भी कहते हैं उसका आकार गोलाकार, आयताकार या वर्गाकार होना चाहिए। यदि टेबल का आकार तिरछा या टूटा हुआ होगा तो इससे बच्चा अपनी पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा पाएगा और भ्रमित होगा, बच्चों के स्टडी रूम की दीवारों का कलर पीला या वायलेट होना चाहिए।हलके ग्रीन ( हरा ) कलर भी बहोत अच्छा होता है क्यों की यह बुध का रंग है और बुध बुद्धि-वाणी का कारक ग्रह है इसी तरह कुर्सी और टेबल का रंग भी होना चाहिए।

(4) 
स्टडी रूम में टेलीफोन, टीवी, डीवीडी आदि नहीं रखें। इससे बच्चों का ध्यान भटकेगा।अगर वह पढ़ने बैठे हैं तो ऐसे में टीबी न चालु करें अगर आप इतना न कर सके तो टीबी की आवाज इतनी न रक्खे की वह आवाज बच्चे तक जाये इससे उनका ध्यान भंग होगा।

यदि स्टडी रूम में टॉयलेट या बाथरूम अटैच हो तो उसका दरवाजा बंद रखें या परदा टांग दें।स्टडी रूम में पढऩे के लिए मेज कभी भी कोने में नहीं होनी चाहिए। मेज या टेबल हमेशा रूम के बीच में दीवार से थोड़ी हटकर होनी चाहिए। स्टडी टेबल पर पर्याप्त लाइट होनी चाहिए। लाइट पीछे से आनी चाहिए न की सामने से।

स्टडी रूम में मां सरस्वती व भगवान श्रीगणेश की तस्वीर हो तो अच्छा रहता है।

वहीँ जानवर जैसे- बाघ, चिता, भेड़िया आदि के पोस्टर(पेंटिंग्स)आदि बच्चों के कमरे में नहीं लगाना चाहिए इससे बच्चे के अंदर आक्रामकता तथा क्रूरता व आलस्य प्रकट होता है।

बुक्स को हमेशा दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण या पश्चिम दीवार के साथ आलमारी में रखनी चाहिए। पूर्व, पूर्व-उत्तर या उत्तर दिशा में बुक्स नहीं रखनी चाहिए। बुक्स कभी भी खुली या इधर-उधर नहीं रखें। इससे स्टडी रूम नेगेटिव एनर्जी फैलती है। पढ़ाई की मेज पर ज्यादा बुक्स नहीं होना चाहिए। जिस सब्जेक्ट की पढ़ाई करनी हो, उसी से संबंधित बुक मेज पर रखें। पढऩे के बाद बुक को उसके स्थान पर रख दें।

ज्योतिष में शिक्षा के योग

विषय के अनुसार भी घर में बच्चों के पढ़ने-लिखने का स्थान चुन सकते हैं

(1)
 बीएड, प्रशासनिक सेवा, राजनीती शास्त्र, रेलवे आदि की तैयारी करने वाले छात्रो का अध्ययन कक्ष पूर्व दिशा में होना चाहिए। क्योंकि सूर्य सरकार एंव उच्च पद का कारक तथा पूर्व दिशा का स्वामी है।अगर सूर्य का अच्छा प्रभाव हो तो इन विषयों में बालक बहोत तरक्की करता है। अतः सूर्य की प्रसन्नता हेतु आवश्यक उपचार भी करना चाहिए जैसे- सूर्यदेव को अर्द्ध देना, आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ, या अपनी स्टडी टेबल पर "रेड जास्फर" का नव पिरामिड का सेट रखना चाहिए। 

(2)
बीटेक, डाक्टरी, पत्रकारिता, ला, एमसीए, बीसीए आदि की शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों का अध्ययन कक्ष दक्षिण दिशा में होना चाहिए। क्योंकि मंगल दक्षिण दिशा का स्वामी है मंगल के प्रभाव बढ़ने हेतु अपने स्टडी टेबल पर ताम्बे के मल्टीय पिरामिड रख्खें, हनुमान जी की पूजा करें, मंगलवार को हनुमान जी को लड्डू चढ़ाएं
अथवा मंगल देव के मन्त्र का जाप करें।

(3) 
एमबीए, एकाउन्ट, संगीत, गायन, और बैंक की आदि की तैयारी करने वाले छात्रों का अध्ययन कक्ष उत्तर दिशा में होना चाहिए क्योंकि बुध वाणी एंव गणित का संकेतक है एंव उत्तर दिशा का प्रतिनिधित्व करता है। अतः साथ में बुध का यथा संभव उपचार भी करना चाहिए जैसे गोशाला में गायों के चारे के लिए दान, या बुधवार के दिन गाय को हरी घास खिलाना, बुध मन्त्र का जाप भी ग्रह देव बुध की कृपा हेतु कर सकते हैं।

(4) 
रिसर्च तथा गंभीर विषयों का अध्ययन करने वाले छात्रों का अध्ययन कक्ष पशिचम दिशा में होना चाहिए क्योंकि शनि एक खोजी एंव गंभीर ग्रह है तथा पश्चिम दिशा का स्वामी है। शनि की प्रसन्नता हेतु शनि के उपाय भी करने चाहिए जैसे- हनुमान चालीसा का नित्य पाठ, अपनी स्टडी टेबल पर एमेथिस्त के पिरामिड 9 के सेट में रखना चाहिए, शनि के मन्त्र का जाप भी शनि की कृपा हेतु सर्वश्रेष्ठ है।

इस तरह से हम अपने बच्चों के लिए घर में सकारात्मक माहौल बना सकते हैं। हाँ इन उपायों का फल तभी मिलता है जब बच्चे के माता-पिता घर में प्रेम व् शांति का माहौल रखते हैं। घर में रोज नित नए झगड़े भी बच्चों ने मन पे गलत असर डालते हैं जिससे उनके कोमल मन पर बहोत ही निगेटिव ( नकारात्मक ) असर होता है। और उनकी परफार्मेंस बिगड़ती है ।

अच्छी पढाई के लिए अपने बच्चों को यह मन्त्र जरुर सिखाएं 

सदा भवानी दाहिने, सन्मुख होत गणेश । 
पांच देव रक्षा करो, ब्रह्मा विष्णु महेश ।।

अर्थात जब भी वह पढाई करने बैठें तो हाँथ जोड़कर इस मन्त्र का उच्चारण जरुर करें । मैंने कई बच्चों पर यह प्रयोग कर के देखा है इसका चमत्कारिक असर है 

।। इति शुभम् ।।

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