ॐ श्री मार्कंडेय महादेवाय नमः

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामयाः सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्यवेत्।
सब सुखी हों । सभी निरोग हों । सब कल्याण को देखें । किसी को लेसमात्र दुःख न हो ।

Pandit Uday Prakash
Astrologer, Vastu Consultant, Spiritual & Alternative Healers

सोमवार, 30 मार्च 2020

rudraksha dharan karne se kya labh hota hai I रुद्राक्ष धारण करने से क्या लाभ होता है

rudraksha dharan karne se kya labh hota hai । रुद्राक्ष धारण करने से क्या लाभ होता है

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भारतीय संस्कृति में रुद्राक्ष का बहुत महत्त्व है। रुद्राक्ष अर्थात रूद्र का अक्ष यानी आंसू, रुद्राक्ष की उत्पत्ति बारे में देवी भागवत पुराण के अनुसार बहुत शक्तिशाली असुर त्रिपुरासुर को अपनी शक्तियों पर घमंड हो गया और उसने धरती पर उत्पात मचाना शुरू कर दिया, वह देवताओं और ऋषियों को भी सताने लगा, देवताओं या ऋषियों में से कोई भी उसे हराने में कामयाब नहीं हुआ तो ब्रह्मा, विष्णु और दूसरे देवता भगवान शिवशंकर के पास त्रिपुरासुर के वध की प्रार्थना लेकर गए, भगवान यह सुनकर बहुत द्रवित हुए और अपनी आंखें योग मुद्रा में बंद कर लीं. थोड़ी देर बाद जब उन्होंने आंखें खोलीं तो उनसे अश्रु बूंद धरती पर टपक पड़े, कहते हैं जहां-जहां शिव के आंसू की बूंदें गिरीं वहां-वहां रुद्राक्ष के वृक्ष उग आए, रुद्र का अर्थ है ‘शिव’ और अक्ष मतलब ‘आंख’ जिसका अर्थ है शिव का प्रलयंकारी तीसरा नेत्र, इसलिए इन पेड़ों पर जो फल आए उन्हें ‘रुद्राक्ष ’ कहा गया।

रुद्राक्ष शरीर, मन और आत्मा के लाभ के लिये अत्यंत उपयोगी सिद्ध होता है। यह शरीर को बल प्रदान करता है और बीमारियों से लडने में मदद करता है। आयुर्वेद के अनुसार रुद्राक्ष शारीरिक सरंचना में सुधार लाता है। यह रक्त की अशुद्धियों को दूर कर शरीर को निरोगी बनाता है। यह मानव शरीर के अंदर के साथ-साथ शरीर के बाहर की वायु में भी जीवाणुओं का नाश करता है। यह तनाव, चिंता और डिप्रेशन का प्रभाव भी कम करता है। ब्रह्मांड में 27 नक्षत्र हैं जिनका 9 ग्रह प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रत्येक नक्षत्र किसी न किसी रुद्राक्ष से जुडा होता है जो कि संबंधित ग्रह से ऊर्जा प्राप्त करता है। यह केवल ऊर्जा प्राप्त ही नहीं करता बल्कि इसका वितरण भी करता है। यह निष्चित है कि रुद्राक्ष ग्रहों के बल से ऊंची और प्रभावशाली वस्तु है। तभी तो विभिन्न मुखी रुद्राक्ष विभिन्न ग्रहों की शांति के लिये काम में लिये जाते हैं। जो ग्रह जातक के लिये अशुभ है, उस ग्रह से संबंधित रुद्राक्ष ही धारण कर उस अशुभ ग्रह की शांति की जा सकती है।

प्रत्येक रुद्राक्ष किसी न किसी देवता या देवी से संबंधित होता है। यही धनात्मक बल रुद्राक्ष के धारक को नकारात्मक ऊर्जा और शत्रुओं से बचाता है। रुद्राक्ष को पहनने से चेहरे पर तेज आता है जो व्यक्तित्व को निखारने के काम आता है। यह व्यक्ति की यादाश्त को बढाने में भी उपयोगी है। रुद्राक्ष जीवन की समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करता है। सुख-शांति प्रदान कर मान-सम्मान में वृद्धि करता है। रुद्राक्ष शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ आत्मा की उन्नति के लिये भी लाभदायक है। रुद्राक्ष को धारण करने से पूर्वजन्म के उन पापों से मुक्ति मिलती है जो कि इस जन्म में भी रूकावटें पैदा कर सकते हैं।अगर कोई व्यक्ति अपनी बुरी आदतों से छुटकारा पाना चाहता है और शुद्धता का जीवन जीना चाहता है तो उसे रुद्राक्ष की माला पहननी चाहिये।
आइये जानते हैं की कितने मुखी रुद्राक्ष का क्या प्रभाव होता है।

एक मुखी रुद्राक्ष के लाभ । 1 MUKHI RUDRAKSH 

धारण करने मात्र से ही गंभीर पापों से मुक्ति मिलकर, मन शांत होकर, इन्द्रियां वश में होकर व्यक्ति ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति की तरफ अग्रसर हो जाता है | शरीर में उच्च रक्तचाप (हाई बी.पी.) इसके धारण करने से धीरे धीरे नियंत्रित होने लगता है और कम दवाई से ही (बी.पी) शांत रहता है सभी रुद्राक्षों में एक मुखी रुद्राक्ष को सर्वोत्तम स्थान दिया गया है। इसके धारण करने से शत्रुओं के षड़यंत्र से बचा जा सकता है और भक्ति, मुक्ति, युक्ति एवं धन लक्ष्मी की प्राप्ति में भी यह रुद्राक्ष सहायक है।

दो मुखी रुद्राक्ष के लाभ । 2 MUKHI RUDRAKSHA

सभी प्रकार की कामनाओं को पूरा करने वाला तथा दांपत्य जीवन में सुख, शांति व तेज प्रदान करता है। दो मुखी रुद्राक्ष में साक्षात शिव-पार्वती का वास होता है। शिवपुराण के अनुसार दो मुखी रुद्राक्ष बेहद दुर्लभ और कल्याणकारी रुद्राक्ष है। दो मुखी रुद्राक्ष को देवेश्वर भी कहा जाता है। यह झगडों या कर्ज से मुक्ति दिलाता है, गृह क्लेश और समाज में सम्मान दिलाता है।तथा कई तरह की शारीरिक बीमारियों जैसे मोटापे, हृद्य दोष आदि से मुक्ति दिलाता है।

तिन मुखी रुद्राक्ष के लाभ । 3 MUKHI RUDRAKSHA

तीन मुखी रुद्राक्ष अग्नि देव का स्वरूप माना गया है।इस तिन मुखी रुद्राक्ष के सत्तारूढ़ ग्रह मंगल हैं। इस रूद्राक्ष को पहनने से व्यक्ति हीन भावनाओं से मुक्त होता है। इसे धारण करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है।यह तीन मुखी रुद्राक्ष चिंताओं मानसिक परेशानियों को समाप्त करने में सहायक होता है।

तीन मुखी रुद्राक्ष को ब्रह्मा, विष्णु और महादेव का रूप भी माना गया है। तिन मुखी रुद्राक्ष का संबंध इच्छा, ज्ञान, क्रिया तथा पृथ्वी, आकाश और पाताल से है। यह रुद्राक्ष शक्ति एवं प्रसन्नता प्रदान करने वाला होता है। तीन मुखी रुद्राक्ष स्वास्थ्य, धन और ज्ञान को उत्तम करता है। इस रुद्राक्ष को पहनने से सभी रोगों से मुक्त हो जाता है तथा प्रतिद्वंदियों पर विजय प्राप्त करता है।

चार मुखी रुद्राक्ष के लाभ । 4 MUKHI RUDRAKSHA

धर्म, अर्थ काम एवं मोक्ष प्रदान करने वाला होता है। चार मुखी रूद्राक्ष को ब्रह्मा तथा देवी सरस्वती का प्रतिनिधि माना गया है। बुध इनके संचालक है इस कारण यह चार मुखी रूदाक्ष शिक्षा के क्षेत्र में खूब सफलता देता है।चार मुखी रुद्राक्ष बुध के हानिकारक प्रभाव को समाप्त करने और देवी सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए है उत्तम है। इसे धारण करने से व्यक्ति विद्या का ज्ञान अर्जित करने की योग्यता प्राप्त करता है।जिनकी स्मरण क्षति कमजोर हो उन्हें इस चतुर्मुखी रूद्राक्ष को धारण करने से चमत्कारी लाभ प्राप्त होता है। यह रुद्राक्ष छात्रों और विद्वानों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यदि कोई मंद बुद्धि हो तो उसे इस चार मुखी रुद्राक्ष को धारण कराएं इसे धारण करके व्यक्ति की बुद्धि भी तीव्र होती है तथा योग्यता का संचार होता है।बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति तथा सभी प्रकार के मानसिक रोग दूर होते हैं।शारीरिक स्वास्थ्य उत्तम रहता है यह रुद्राक्ष सृजनशील व्यक्ति के लिए बहुत उपयोगी है।

पांच मुखी रुद्राक्ष के लाभ । 5 MUKHI RUDRAKSHA

सुख प्रदान करने वाला।पंचमुखी रुद्राक्ष में भगवान शिव की सभी शक्तियां समाहित होती है। इस धरा के पंच तत्व इस रुद्राक्ष के देव माने गए हैं। इस रुद्राक्ष का स्वामी ग्रह गुरु होता है। मान्यता अनुसार इस रुद्राक्ष के कम से कम तीन दाने धारण अवश्य करने चाहिए।
पंचमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से मान सम्मान और धन की प्राप्ति होती है।यह रुद्राक्ष धनु और मीन राशि के जातकों के लिए शुभ होता है।यह सभी सिद्धियों की प्राप्ति और पापों से मुक्ति दिलाता है।


छः मुखी रुद्राक्ष के लाभ । 6 MUKHI RUDRAKSHA

छह मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का स्वरुप माना गया है। ज्योतिष की दृष्टि से इस रुद्राक्ष पर शुक्र देव का प्रभाव माना गया है। शिवपुराण के अनुसार ब्रह्म हत्या आदि के पापों से मुक्ति प्रदान करने में यह रुद्राक्ष सहायक सिद्ध होता है ।
छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है, बुद्धि तीव्र होती है, शरीर को रोग मुक्त करने में सहायक होता है और धन प्राप्ति भी करवाता है। यह रुद्राक्ष विशेष कर पढने वाले बालकों को दाई भुजा में धारण करना चाहिए। इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति में नेत्रित्व करने का गुण आ जाता है। भाषण आदि कला में भी वाक शक्ति प्रबल होती है। छह मुखी रुद्राक्ष के साथ यदि दाई और बाई ओर एक एक पांच मुखी का रुद्राक्ष भी धारण किया जाए तो अति उत्तम होता है। भगवान कार्तिके की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सांसारिक दुखों से लड़ने की क्षमता प्रदान करके जीवन के स्तर को अति उत्तम बनाता है। बचपन में जिन बालकों की बुद्धि अधिक तीव्र नहीं होती या परीक्षा के समय में बालक को चिंता होती है, ऐसे बालकों को दो पांच मुखी के बीच में एक छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से परीक्षा में सफलता मिलती है इसलिए विशेष कर सभी बालकों को जो शिक्षा ग्रहण कर रहे हों, उन्हें ये रुद्राक्ष धारण करने चाहिए, यह पापों से मुक्ति एवं संतान देने वाला होता होता है।


सात मुखी रुद्राक्ष के लाभ  । 7 MUKHI RUDRAKSHA

सात मुखी रुद्राक्ष को माँ लक्ष्मी की कृपा से भरपूर माना गया है। कामदेव का स्वरुप पाने वाला यह रुद्राक्ष अनन्त नाम से जाना गया है। ऐसे मनुष्य जिनका भाग्य उनका साथ नहीं देता और नौकरी या व्यापार में अधिक लाभ नहीं होता एैसे जातकों को सात मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए क्योंकि इसके धारण से धन का अभाव व् दरिद्रता दूर होकर व्यक्ति को धन, सम्पदा, यश, कीर्ति एवं मान सम्मान की भी प्राप्ति होती है चूँकि इस रुद्राक्ष पर लक्ष्मी जी की कृपा मानी गई है और लक्ष्मी जी के साथ गणेश भगवान की भी पूजा का विधान है इसलिए इस रुद्राक्ष को गणपति के स्वरुप आठ मुखी रुद्राक्ष के साथ धारण करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। ग्रन्थों के अनुसार सात मुखी रुद्राक्ष पर शनि देव का प्रभाव माना गया है इसलिए जो व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान हों या जोड़ो के दर्द से परेशान हों उनके लिए शनि देव की कृपा प्राप्त होने के कारण से यह रुद्राक्ष लाभदायक हो सकता है। सात मुखी होने के कारण से शरीर में सप्त धातुओं की रक्षा करता है और शरीर के मेटाबोलिज्म को दुरुस्त करता है।




।।इति शुभम्।।

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