ॐ श्री मार्कंडेय महादेवाय नमः

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामयाः सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्यवेत्।
सब सुखी हों । सभी निरोग हों । सब कल्याण को देखें । किसी को लेसमात्र दुःख न हो ।

Pandit Uday Prakash
Astrologer, Vastu Consultant, Spiritual & Alternative Healers

बुधवार, 15 अप्रैल 2020

mangal mantra । मंगल ग्रह के मंत्र एवं उपाय

mangal mantra । मंगल ग्रह के मंत्र एवं उपाय


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ग्रह देव मंगल की आराधना उनकी पूजा जीवन में निर्भीकता, पराक्रम, हिम्मत कार्य करने की शक्ति शारीरिक बल प्रदान करती है। जीवन में हर व्यक्ति को इस सब जरुरत होती है। बहादुरी का कोई भी क्षेत्र हो जैसे पुलिस, आर्मी, स्पोर्ट्स, जासूसी आदि इन सब में सफल प्राप्त करने के लिए ग्रह देव मंगल के आशीर्वाद की परम आवस्यकता होती है। जोश हर मर्द का गहना होता है अगर कुंडली में मंगल ग्रह पीड़ित, कमजोर या अशुभ हों तो जातक डरपोक व कायर होता है। जिनमे भी एसे लक्ष्ण हों ऐसे लोगों को मंगल देव की पूजा आराधना अवस्य करनी चाहिए । इससे उपरोक्त सभी गुण प्राप्त होते हैं । सफलता कदम चूमती है मंगल देव की प्रसन्नता हेतु कौन? से मन्त्र का जप-पूजा उनका दान व कुंडली में उनकी शुभ-अशुभ स्थिति में कौन? से उपाय करें जीनसे उनके शुभ फल प्राप्त कर पायें तो आइये मित्रों जानते हैं।
नोट- निम्नलिखित किसी भी मन्त्र द्वारा मंगल का शुभ फल प्राप्त किया जा सकता है, इनमे से एक अथवा कई उपाय एक साथ किए जा सकतें है यह अपनी श्रद्धा पे निर्भर करता है। यह सभी बारम्बार अजमाए हुए फलित उपाय है।
 
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मंगल ग्रह का पौराणिक मन्त्र 

ॐ धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कांति समप्रभम् ।
कुमारं शक्तिहस्तं तं मङ्गलं प्रणमाम्यहम् ।।

मंगल ग्रह का गायत्री मन्त्र

ॐ अंगारकाय विद्महे शक्तिहस्ताय धीमहि, तन्नो भौमः प्रचोदयात्।।

मंगल ग्रह का वैदिक मन्त्र

ऊँ अग्निर्मूर्धा दिवः ककुत्पतिः पृथिव्या अयम।
अपां रेता सि जिन्वति।।

मंगल ग्रह का बीज मन्त्र

ऊँ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।
जप संख्या – 10000
समय – मंगलवार को सूर्य की होरा में

मंगल ग्रह का तांत्रिक मन्त्र

ॐ अं अंङ्गारकाय नम:

 मंगल ग्रह का पूजा मंत्र 

ऊँ भोम भोमाय नमःयह मंत्र बोलते हुए मंगल प्रतिमा अथवा यंत्र का पूजन करें।

मंगल ग्रह का दान


मंगल देव का दिन होता है मंगलवार और इनका रंग होता है लाल अतः इस दिन श्रद्धा भाव से गेहूं, मसूरकी दाल, गुड़, लाल रंग का वस्त्र, तांबे के बर्तन, बताशा, मीठी चपाती, गुड़ निर्मित रेवड़ियां किसी युवा ब्राह्मण को दान देना चाहिए। मंगलवार के दिन व्रत करना चाहिए और ब्राह्मण अथवा किसी गरीब व्यक्ति को भर पेट भोजन कराना चाहिए। मंगल पीड़ित व्यक्ति में धैर्य की कमी होती है अत: धैर्य बनाये रखने का अभ्यास करना चाहिए एवं छोटे भाई बहनों का ख्याल रखना चाहिए। (विशेष- कर्ज और उधार लेकर कभी दान न दें)।
मरे अनुभव अनुसार कुंडली में अगर मंगल नीच स्थिति में है तो अपने ज्योतिष से परामर्श लेकर सुरक्षित तरीके से एक दो बार ब्लड डोनेट करना चाहिए इससे मंगल की नकारात्मक रश्मियाँ शरीर से निकल जाती है। 

मंगल ग्रह का व्रत

किसी भी शुक्ल पक्ष के मंगलवार से सुरु कर  के  मंगलवार का व्रत करना चाहिए। प्रथम बार दाहिने हाँथ में जल लेकर मंगल देव से अपनी समस्याओं के निवारण की प्रार्थना करते हुए कितने मंगलवार का आप व्रत करेंगे बोलते हुए  संकल्प करना चाहिए और वह जल भूमि पर छोड़ देना चाहिए। तत्पश्चात पूजन और व्रत करना चाहिए। व्रत के दिन दूध, फल, चाय ले सकते हैं। और दिन डूबने के बाद भोजन किया जा सकता है पर भोजन सात्विक ही हो पर इस दिन मीठा न खाएं तो ही उचित है। इस तरह व्रत करने से मंगल का प्रकोप कम होता है ।
मंगल देव की कृपा प्राप्ति हेतु हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए संभव हो तो रोज नित्य हनुमान मंदिर जाकर उन्हें लड्डू का प्रसाद चढ़ाना चाहिए और दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए  यह बहुत ही फलित उपाय है । (संकल्प सिर्फ पहली बार करना है उसके बाद जितने मंगलवार का संकल्प लिया था उतना मंगलवार पूर्ण होने पर करना है ठीक उसी तरह जैसे पहलीबार किया गया था अबकी बार मंगलदेव का धन्यवाद बोलते हुए जल निचे गिरा देना होता है)।
जितना संकल्प लिया था उतना व्रत पूर्ण होने पर व्रत का पारण करना चाहीए, किसी योग्य ब्राह्मण को घर पर बुलाकर भोजन करना चाहिए व मंगल देव की वस्तुए दान करनी चाहिए।

अगर मंगल कुंडली में शुभ होकर कमजोर हों तो

* सोने अथवा तांबे की अंगूठी में मूंगा नग धारण करना चाहिए। 
* लाल रंग के कपडे पहनने चाहिए व एक ताम्बे का कडा दाहिने हाँथ में धारण करना चाहिए अगर कड़े में हनुमान जी का चित्र बना हो तो यह बहुत अच्छा फल देगा।
* लाल कपड़े में सौंफ बाँधकर अपने शयनकक्ष में रखनी चाहिए।
* जातक जब भी अपना घर बनवाये तो उसे घर में लाल पत्थर अवश्य लगवाना चाहिए।
* गुड अत्यधिक खाना चाहिए तथा अपने भोजन में मसूर की दाल का स्तेमाल करना चाहिए।
* मंगलवार के दिन हनुमानजी के चरण से सिन्दूर ले कर उसका टीका माथे पर लगाना चाहिए।
* बंदरों को गुड़ और चने खिलाने चाहिए।
* अगर आप पराक्रम से सम्बंधित कार्य करते हैं जैसे पुलिस-सेना की नौकरी, क्रिकेट, फुटबाल अथवा अन्य खेलों में लाल रुमाल अथवा लाल टोपी का स्तेमाल कर सकते हैं। इससे मंगल मजबूत होगा तथा साहस में वृद्धि होगी।
* घर में लाल फूल का पौधा रोपित करना चाहिए और निरंतर ताम्बे के लोटे में रात्रि में जल रखकर सुबह उसी जल से सींचना चाहिए इससे मंगल के शुभ फल प्राप्त होते हैं ।

मंगल ग्रह के कुंडली में नीच अथवा अशुभ स्थिति में होने पर


* नारियल को तिलक लगाकर लाल कपडे में लपेटकर बहते हुए जल में 3 मंगलवार प्रवाहित करने से अशुभ मंगल का प्रभाव कम हो जाता है।
* अगर आप का मंगल अशुभ है तो आप को लाल वस्त्र नहीं धारण करना चाहिए।
* मंगलवार को मदिरा, मांस-मछली का सेवन नहीं करना चाहिए बल्कि मंगल मन्त्र, हनुमान चालीसा, हनुमान कवच, बजरंगबाण आदि का पाठ करना चाहिए जिससे मंगल देव की कृपा प्राप्त होती है।
* जिस कन्या की कुंडली में मांगलिक योग की वजह से शादी में बाधा आती है उनको सात मंगलवार का लगातार ब्रत करना चाहिए। 
* छः मंगलवार लगातार लाल वस्त्र ले कर उसमें दो मुठ्ठी मसूर की दाल बाँधकर मंगलवार के दिन किसी भिखारी को दान करनी चाहिए।


इनके अलवा मंगल ग्रह से संबंधित कैसी भी परेशानी हो तो स्कन्द पुराण में वर्णित इस निम्नलिखित स्त्रोत का नित्य पाठ करें अगर नित्य संभव न हो तो किसी भी शुक्ल पक्ष के मंगलवार से प्रारम्भ कर के हर मंगलवार को नियम पूर्वक इसका पाठ करें, इस पाठ का बहोत ही महत्व है, इससे ग्रह देव मंगल की शुभ कृपा से जीवन के सभी मनोरथ सफल होते हैं, विजय प्राप्त होती हैं।

विधि- सर्व प्रथम स्नानआदि से निवृत होकर लाल आसन पे बैठकर ग्रह्देव मंगल का ध्यान करें व श्रद्धापूर्वक उनका पंचोपचार (धुप, गंध/चन्दन, दीप, पुष्प, नैवेद्य इससे किसी भी देवता की पूजा को पंचोपचार पूजन कहते हैं) पूजन करें फिर अपने दाहिने हाँथ में जल लेकर विनियोग करें अर्थात निचे लिखे मन्त्र को पढ़ें।


विनियोग मन्त्र -
विनियोग- अस्याङ्गारकस्तोतत्रस्य विरुपांगीरस ऋषि अग्नि देवता  गायत्री छन्दः भोम प्रित्यर्थे पाठे विनियोगः
अपने हाँथ का जल धरती पर छोड़ दें और फिर निम्नलिखित पाठ करें।

अंगारकः शक्तिधरो लोहिताङ्गो धरासुतः।
कुमारो मङ्गलो भौमो महाकायो धनप्रदः॥1॥

ऋणहर्ता दृष्टिकर्ता रोगकृद्रोगनाशनः।
विद्युत्प्रभो व्रणकरः कामदो धनहृत् कुजः ॥2॥

सामगानप्रियो रक्तवस्त्रो रक्तायतेक्षणः।
लोहितो रक्तवर्णश्च सर्वकर्मावबोधकः॥3॥

रक्तमाल्यधरो हेमकुण्डली ग्रहनायकः।
नामान्येतानि भौमस्य यः पठेत्सततं नरः ॥4॥

ऋणं तस्य च दौर्भाग्यं दारिद्र्यं च विनश्यति।
धनं प्राप्नोति विपुलं स्त्रियं चैव मनोरमाम् ॥5॥

वंशोद्द्योतकरं पुत्रं लभते नात्र संशयः।
योऽर्चयेदह्नि भौमस्य मङ्गलं बहुपुष्पकैः ॥6॥

सर्वा नश्यति पीडा च तस्य ग्रहकृता ध्रुवम् ।

।।इति श्री स्कान्दपुराणे श्री अङ्गारकस्तोत्रं सम्पूर्णम्।।

।। इति शुभम्।।

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