ॐ श्री मार्कंडेय महादेवाय नमः

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामयाः सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्यवेत्।
सब सुखी हों । सभी निरोग हों । सब कल्याण को देखें । किसी को लेसमात्र दुःख न हो ।

Pandit Uday Prakash
Astrologer, Vastu Consultant, Spiritual & Alternative Healers

बुधवार, 29 अप्रैल 2020

shani mantra । शनि ग्रह के मंत्र एवं उपाय

shani mantra । शनि ग्रह के मंत्र एवं उपाय 

shani mantra, शनि ग्रह के मंत्र एवं उपाय, shani mantra upay,  shani mantra in hindi
shani mantra evam upay

ग्रह देव शनि की आराधना उनकी पूजा से जीवन में आ रही सर्वाधिक कठिनाइयों का नाश होता है। कार्य में सफलता, धीरज, प्रफुल्लता, विदेशी भाषाओं का ज्ञान, न्याय प्रियता, अनुसन्धान, पि.एच,डी, लोहे अथवा चमड़े से संबंधित कारोबार, चिकित्सा-डॉक्टर, इंजिनयरिंग, वाहन-ट्रांसपोर्ट आदि के कारोबार में सफलता शनि के आशीर्वाद स्वरूप ही प्राप्त होती है। क्यूँ की ज्योतिष शास्त्र में शनि को कर्म का कारक कहा गया है यह न्याय और धर्म के भी प्रवर्तक हैं। अतः कुंडली में इनकी शुभता परम आवश्यक है। अपने जीवन में अपने करोबार में कौन सफल नहीं होना चाहता आज हर किसी का स्वप्न होता है कि वह अपनी नौकरी अथवा कारोबार को उसकी उचाईयों पे लेकर जाए

शनि कुंडली में शुभ और बलवान हों तभी उपरोक्त सभी फल जातक को मिलता है। अगर कुंडली में शनि अशुभ अथवा पीड़ित हों तो यह सभी फल प्राप्त करने में बहोत कठिनाई होती है। ऐसे में शनि की कृपा प्राप्ति जातक के लिए बहोत अवश्यक हो जाती है। अगर शनि की साढ़ेसाती अथवा ढईया चल रही हो तो जीवन बहुत संघर्षमय हो जाता है ऐसे में सवाल उठता है ग्रह देव शनि को किस मन्त्र अथवा उपाय से प्रसन्न किया जाये, क्या दान किया जाये, क्या पाठ किया जाये.. जिनसे उनके शुभ फल प्राप्त हों.. तो आईये मित्रों मै शनि देव के सभी मन्त्र व उपायों को आप के सामने रखने का प्रयास कर रहा हूँ। आप इनसे लाभ उठायें ।

नोट- निम्नलिखित किसी भी मन्त्र द्वारा ग्रह देव शनि का शुभ फल प्राप्त किया जा सकता है, इनमे से एक अथवा एक साथ कई उपाय एक साथ किए जा सकतें है यह अपनी श्रद्धा पे निर्भर करता है। यह सभी बारम्बार अजमाए हुए फलित उपाय है।

शनि ग्रह का पौराणिक मन्त्र

ॐ नीलाञ्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्ड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।

शनि ग्रह का गायत्री मन्त्र

ॐ सूर्य पुत्राय विद्महे मृत्यु रुपाय धीमहि तन्नो सौरिः प्रचोदयात्।।

शनि ग्रह के वैदिक मन्त्र

ऊँ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शं योरभिस्रवन्तु नः,     ऊँ शनैश्चराय नमः।।

शनि ग्रह का बीज मंत्र

ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
जप संख्या_ 23000
समय_ संध्या काल, शुक्ल पक्ष, शनि की होरा।

शनि ग्रह का तांत्रिक मन्त्र

ॐ शं शनैश्चराय नमः

शनि ग्रह पूजा मंत्र

 ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चराय नमः
यह मंत्र बोलते हुए शनि यंत्र का पूजन करें।

शनि ग्रह का दान

शनि काले रंग कारक होता है। इनका दिन है शनिवार।  इन्हें दान में काला वस्त्र, नीलम, काली गाय, जूते, दवाइयां, काली भैंस, सरसो का तेल, नारियल, निले फूल, काले उड़द की दाल, काला तिल, चमड़े का जूता, नमक, लोहा, अंगीठी,चाय पत्ती, चिमटा, तवा, काले कम्बल, खेती योग्य भूमि देनी चाहिए। शनि ग्रह की शांति के लिए दान देते समय ध्यान रखें कि संध्या काल हो और शनिवार का दिन हो तथा दान प्राप्त करने वाला व्यक्ति ग़रीब और वृद्ध हो। (विशेष- कर्ज और उधार लेकर कभी दान न दें)

शनि ग्रह का व्रत

जब भी शनिवार का व्रत करना हो तो सर्वप्रथम किसी भी शुक्ल पक्ष के शनिवार से सुरु करें, सबसे शनिवार के दिन पहले स्नान आदि से निवृत होकर किसी गहरे नीले रंग के आसन पर पश्चिम दिशा की तरफ मुह कर के बैठ जाएँ, अब ग्रह देव शनि का ध्यान करें उनका यंत्र सामने रख लें तो अति उत्तम, अब अपने दहिने हाँथ में शुद्ध जल ले लें और उनसे अपनी मनोकामना कहकर संकल्प करें कि हे ग्रह देव शनि मै अपनी यह मनोकामना लेकर आप की इतने शनिवार का व्रत करने का संकल्प करता हूँ। आप मेंरे मनोरथ पूर्ण करें और मुझे आशीर्वाद दें, यह कह कर हाँथ में लिया हुआ जल धरती पर गिरा दें, ऐसा संकल्प सिर्फ प्रथम शनिवार को करना है। तत्पपश्च्यात श्रद्धा भाव से शनि देव का पंचोपचार पूजन करें व ऊपर लिखित किसी भी मन्त्र का 1, 3, 5, 7, 9, 11 जितना भी संभव हो उतनी माला जप करें।
अगर घर के आस-पास भैरव मंदिर हो तो उस दिन जाकर भैरव देव का दर्शन कर के उनका आशीर्वाद लें।
नोट- जितना संकल्प किया था उतना व्रत पूर्ण होने पर व्रत का पारण करना चाहीए, किसी योग्य वृद्ध ब्राह्मण  को  घर पर बुलाकर भोजन करना चाहिए व शनि की वस्तुए अपनी समर्थ अनुसार दान करनी चाहिए।

शनि ग्रह के कुंडली में शुभ होकर कमजोर होने पर 

* कुंडली में शुभ स्थिति में होने पर पंचधातु की अंगूठी में नीलम रत्न को सीधे हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करने से शनि बलवान हो जाते हैं।
* काले घोड़े की नाल या नाव के कांटे से बनी मुंदरी या छल्ला धारण करना भी लाभप्रद होता है।
* आँखों में काला सुरमा लगाने से भी शनि बलवान होते हैं।
* सरसो के तेल से 27 शनिवार शरीर की मालिश करवाने से भी शनि मजबुत हो जाते हैं।
* स्टील अथवा लोहे का कड़ा या धारण करने से भी शनि को बल मिलता है।
* अपने शयन कक्ष में नीले पर्दे, तकिये का कवर अथवा चद्दर डालने से भी शनि बलवान होते हैं ।
* अगर संभव हो नीले-काले कपडे अधिक पहनना चाहिये नीली जींस भी शुभ होगी।
* शनि का शुभ फल प्राप्त करने के लिए मांस मदिरा सेवन नहीं करना चाहिए, आलस्य का त्याग कर कर्म में तत्पर रहना चाहिए।
* घर में संभव है तो काली गाय, काला कुत्ता अथवा भैस पालना चाहिए।
* लोहे की कढाई में खाना बनाकर स्टील की थाली में खाना चाहिए ।
* शनिवार के दिन काले उड़द की दाल अथवा खिचड़ी खाने से शनि को बल मिलता है ।
* काले घोड़े की नाल अतवा पानी में चलने वली नाव के कांटे से बनी मुंदरी मध्यमा उंगली में धारण करने से भी शनि का शुभ फल मिलता है।
* शनि के लिए काले गाय को अपने हाँथ से घी से चुपड़ कर रोटी  खिलाये अगर यह गाय किसी धार्मिक स्थल, मठ आदि में हो तो उत्तम।

शनि का कुंडली के सभी 12 भाव में फल 

शनि ग्रह के कुंडली में नीच अथवा अशुभ होने पर 

* लोहे के बर्तन में दही चावल और नमक मिलाकर भिखारियों और कौओं को देना चाहिए।
* रोटी पर नमक और सरसों तेल लगाकर कौआ को देना चाहिए।
* तिल और चावल पकाकर ब्राह्मण को खिलाना चाहिए।
* अपने भोजन में से कौए के लिए एक हिस्सा निकालकर उसे दें।
* शनि ग्रह से पीड़ित व्यक्ति के लिए हनुमान चालीसा का पाठ, महामृत्युंजय मंत्र का जाप एवं शनिस्तोत्रम का पाठ भी बहुत लाभदायक होता है।
* शनि ग्रह के दुष्प्रभाव से बचाव हेतु गरीब, वृद्ध एवं कर्मचारियो के प्रति अच्छा व्यवहार रखें. मोर पंख धारण करने से भी शनि के दुष्प्रभाव में कमी आती है।
* शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल्ली के तेल का दीपक जलाएँ।
* शनिवार के दिन लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।
* 7 बादाम, 7 नारियल, 7 दाने काले मसूर काले कपडे में बांधकर दूध के साथ बहते पानी में बहाने पर शनि की पीड़ा से लाभ प्राप्त होता है।
* शनिवार के दिन तेल का सेवन नहीं करना चाहिए यह चाहे बदन में लगाने से हो या खाने से।
*  हर शनिवार को हनुमान मन्दिर नंगे पांव जाना चाहिये व शनिवार को सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए तथा तलाब में मछलियों को चारा भी डालना चाहिए।
शिव लिंग पे कच्चा दूध चढ़ाना चाहिए, तथा अपनी स्त्री के अलावां किसी भी पराई स्त्री से शारीरिक सम्बन्ध भूलकर भी नहीं बनाना चाहिए ।
* अपने से निचे कार्य करने वाले को सम्मान दें, भिखारियों की कुछ न कुछ जरुर मदत करें, चमड़े से बनी चीजों का स्तेमाल न करें, पैरों में काले जुते पहने तथा सफ़ेद जुराब का स्तेमाल करें।
नोट- इनमे से कोई एक अथवा कई उपाय एक साथ श्रधा पूर्वक करना चाहिए।

इनके अंलावा शनि ग्रह से संबंधित कैसी भी परेशानी हो तो  निम्नलिखित स्त्रोत का नित्य पाठ करें अगर नित्य संभव न हो तो किसी भी शुक्ल पक्ष के शनिवार से प्रारम्भ कर के हर शनिवार को नियम पूर्वक इसका पाठ करें,  महाराज दशरथ द्वारा रचित इस पाठ का बहोत ही महत्व है।

इसके लिए संध्या समय घर में किसी पवित्र स्थान पे बैठकर  श्रद्धा भाव से शनि देव का पंचोपचार पूजन करें व ऊपर लिखित किसी भी मन्त्र का 1 माला जप करें। फिर इस पवित्र स्तोत्र का पाठ करें।

दशरथकृत शनि स्तोत्र

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:॥1॥

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते॥ 2॥

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते॥ 3॥

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने॥ 4॥

नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च॥ 5॥

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते॥ 6॥

तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:॥ 7॥

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्॥ 8॥

देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:॥ 9॥

प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:॥10॥

।।इति शुभम्।।

some of you popular article

astro vastu consultant spiritual and alternative healers in mumbai uday praksh sharma   mob- 9867909898

www.udayvastu.com     www.astrouday.com


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें