ॐ श्री मार्कंडेय महादेवाय नमः

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामयाः सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्यवेत्।
सब सुखी हों । सभी निरोग हों । सब कल्याण को देखें । किसी को लेसमात्र दुःख न हो ।

Pandit Uday Prakash
Astrologer, Vastu Consultant, Spiritual & Alternative Healers

रविवार, 21 मार्च 2021

Mangal Dosh Rectification मंगली योग का परिहार

 

मंगली योग का परिहार । mangal Dosh Rectification

mangal dosha parihara in hindi I mangal dosh rectification in hindi


ज्योतिष शास्त्र के लगभग सभी ग्रन्थों में मंगली योग के परिहार का उल्लेख मिलता है। परिहार भी आत्म कुण्डलिगत एवं पर कुण्डलिगत भेद से दो प्रकार के होते हैं । वर या कन्या की कुंडली में मंगली योग होने पर उसी की कुण्डली को जो योग मंगली दोष को निष्फल कर देता है, वह परिहार योग आत्म कुण्डलिगत कहलाता है। तथा वर या कन्या इन दोनों में से किसी एक की कुण्डली में मंगल योग का दुष्प्रभाव दूसरे की कुण्डली के जिस योग से दूर हो जाता है, वह पर कुण्डलिगत परिहार योग कहा जाता है।


(1) वर कन्या में से किसी एक की कुंडली में मंगली योग हो तथा दूसरे की कुण्डली में लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश स्थान में शनि हो तो मंगली दोष दूर हो जाता है।

(2) जिस कुण्डली में मंगली योग हो यदि उसमे शुभ ग्रह केंद्र, त्रिकोण में तथा शेष पाप ग्रह त्रिषडाय में हो तथा सप्तमेश सप्तम स्थान में हो तो भी मंगली योग प्रभावहीन हो जाता है।

(3) यदि मंगल शुक्र की राशि में स्थित हो तथा सप्तमेश बलवान होकर केंद्र त्रिकोण में हो तो मंगल दोष प्रभावहीन हो जाता है।

(4) कुण्डली में लग्न आदि 5 भावों में से जिस भाव में भौमादि ग्रह के बैठने से मंगली योग बनता हो, यदि उस भाव का स्वामी बलवान् हो तथा उस भाव में बैठा हो या देखता हो साथ ही सप्तमेश या शुक्र त्रिक स्थान में न हों तो मंगली योग का अशुभ प्रभाव नष्ट हो जाता है।

(5) वर कन्या में से किसी एक की कुण्डली में मंगली योग हो तथा दूसरे की कुण्डली में मंगली योगकारक भाव में कोई पाप ग्रह हो तो भी मंगली दोष प्रभावहीन हो जाता है।

(6) जिस कुण्डली में सप्तमेश या शुक्र बलवान हों तथा सप्तम भाव इनसे युत-दृष्ट हो उस कुंडली में मंगल दोष का प्रभाव न्यून हो जाता है।

(7) मेष या वृश्चिक का मंगल चतुर्थ स्थान में होने पर, कर्क या मकर का मंगल सप्तम स्थान में होने पर, मीन का मंगल अष्टम में होने पर, तथा मेष या कर्क का मंगल व्यय स्थान में होने पर मंगल दोष नहीं लगता।

(8) मेष लग्न में स्थित, मंगल, वृश्चिक राशि में चतुर्थ भाव में स्थित मंगल, वृषभ राशि में सप्तम स्थान में मंगल, कुम्भ राशि में अष्टम स्थान में स्थित मंगल तथा धनु राशि में व्यय स्थान में स्थित मंगल मंगली दोष नहीं करता।

(9) मंगली योग वाली कुंडली में बलवान् गुरु या शुक्र के लग्न या सप्तम में होने पर अथवा मंगल के निर्बल होने पर मंगली दोष का प्रभाव दूर हो जाता है।

(10) यदि मंगली योगकारक ग्रह स्वराशि मूलत्रिकोण राशि या उच्च राशि में हो तो मंगली दोष स्वयं समाप्त हो जाता है।

।। इति शुभम् ।।

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1 टिप्पणी:

  1. Dhanywad Prabhu Ji...

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